होमसमाचारग्यानी सुगा (राजवंशी भाषा)

-भीमराज राजवंशी

दया-मया कुछुनि
राम-किरिसन‌‌ बोलेछि
बन्दी बेनाय पिंजराते
गोपि-किसन सिखाछि

रचनाकार

मानुस जनम पालो
तुइ ग्यानी कहलाछि
तोर बोलि मुइ जानु
मोर बोलि नि जानेछि

तोर से ग्यानी मुइ
तोर सिखाले जानेछु
मानुस जनम नाहोक
पन्छि रूप भाल मानेछु

सबदिन करिस चरि-बरि
तुइ सुन्दर धरतिर उपर
सिरिष्टिर बाताबरन बचाअ
तहियो तुइ कियामे बेखबर

नाकाटिस गाछ-बिरिछ
मारिस ना पन्छि जानाबर
मोर सारापे कि हतु
परतु हरहरिया बजर।।

कटहरी-६, मोरङ, नेपाल।

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